अब उत्तीर्ण होने से ही नहीं चलेगा काम, प्रथम श्रेणी के करने होंगे प्रयास

दौसा. सरकारी स्कूलों में बच्चों के उत्तीर्ण होने से राहत महसूस करने वाले शिक्षकों के लिए अब नई चुनौती सामने आ खड़ी हुई है। अब बच्चे के मात्र पास होने से काम नहीं चलेगा। प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या से विद्यालय व शिक्षकों की परफॉर्मेंस तय होगी। शिक्षा विभाग ने सभी विद्यालयों को गत वर्ष की तुलना में इस बार प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों की संख्या में 15 प्रतिशत इजाफा करने लक्ष्य दिया है। शिक्षा अधिकारियों की मानें तो सरकारी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह निर्णय किया गया है।


Now passing work will not work, efforts will have to first class



सरकारी स्कूलों में 50 प्रतिशत से कम परिणाम रहने पर न्यून परीक्षा परिणाम मानकर विभागीय कार्रवाई होती है। वहीं जिन स्कूलों का परिणाम अच्छा रहता है, वहां अधिकतर बच्चे तृतीय या द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण होते हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। अब क्वांटिटी के साथ क्वालिटी लाने के लिए शिक्षा विभाग की नजर प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले बच्चों की संख्या पर रहेगी। इस संबंध में मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को प्रत्येक विद्यालय में प्रथम श्रेणी से पास होने वाले बच्चों की संख्या में 15 प्रतिशत इजाफा करने के प्रयास करने को कहा गया है।



प्रथम श्रेणी के परिणाम की स्थिति खराब



राजकीय विद्यालयों में कुल परीक्षा परिणाम की तुलना में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या बहुत कम है। राउमावि औंड मीना में दसवीं में 84 प्रतिशत छात्र पास हुए, लेकिन प्रथम श्रेणी से एक भी नहीं हुआ। इसी तरह गुर्जर सीमला में परिणाम 86 प्रतिशत रहा, लेकिन प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कोई नहीं हुआ। नांदरी में भी 82 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए, लेकिन प्रथम श्रेणी से कोई नहीं हुआ। बालिका स्कूल बसवा में 6 प्रतिशत, गुढ़लिया में 8, नंदेरा में 2, रलावता में 7, डिगो में 4, निजामपुरा में 6, तलावगांव में 10, डोब व करनपुरा में 7, प्यारीवास 4, बालिका लवाण 3, खानवास 10, पावटा 5, नौरंगवाड़ा 7, धौलखेड़ा 6, कुण्डेरा डूंगर में 4 प्रतिशत बच्चे प्रथम श्रेणी से पास हुए। ऐसा ही हाल बारहवीं कक्षा के परिणाम का रहा है।



गुणवत्ता पर है ध्यान



सहायक निदेशक समसा राजीव व्यास ने बताया कि इस बार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए पूरे साल विभिन्न कार्यक्रम चलाए गए हैं। शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया गया। ऐसे में इस बार उच्च स्तर से प्रथम श्रेणी के परिणाम में सुधार के निर्देश दिए गए हैं। 15 प्रतिशत प्रथम श्रेणी का परिणाम बढ़ाने के संबंध में सभी सीबीईओ को पत्र भेजा गया है।


जिले का कुल परिणाम
दसवीं का प्रथम श्रेणी परिणाम - 26.42 प्रतिशत
बारहवीं (कला) का प्रथम श्रेणी परिणाम - 39.26
वाणिज्य वर्ग का प्रथम श्रेणी परिणाम- 29.61
विज्ञान वर्ग का प्रथम श्रेणी परिणाम- 63.42 प्रतिशत


Now passing work will not work, efforts will have to first class